न्यूटन के गति के नियम | Newton's laws of motion

न्यूटन के गति के नियम | Newton's laws of motion 


न्यूटन के  गति के नियम | Newton's laws of motion
सर आइजक न्यूटन 


आइजक न्यूटन का जन्म 1642 ई. में इंग्लैण्ड के वूल्स्थोर्पे(Woolsthorpe) नामक शहर में हुआ | 1662 ई. में स्नातक पूर्व अध्ययन के लिए वे कैम्ब्रिज गए | सन 1669 ई. में प्लेग-महामारी फैलने के कारण विश्वविद्यालय बंद करना पड़ा और न्यूटन अपनी मातृभूमि वापस लौट आए | दो वर्ष बाद कैम्ब्रिज लौटने पर उन्होंने प्रकाशिकी में अपने आविष्कारों को आगे बढ़ाया तथा परावर्ती दूरदर्शक की रचना की |
न्यूटन ने अपने वैज्ञानिक आविष्कारों को 1684 ई. में लिखना आरंम्भ किया और "दी प्रिंसीपिया मैथेमेटिका" नामक महान ग्रंथ की रचना की जो किसी भी काल में रचे गए महानतम ग्रंथो में से एक माना जाता है |
इसी ग्रंथ में न्यूटन ने गति के तीनो नियमों तथा गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का प्रतिपादन किया है 
सन 1706 ई. में न्यूटन ने एक अन्य उत्कृष्ट ग्रंथ "ऑप्टिक्स" प्रकाशित किया जिसमे उन्होंने अपने प्रकाश तथा वर्ण संबंधि कार्य का सार प्रस्तुत किया |

न्यूटन के गति के नियम | Newton's laws of motion

क्या किसी पिण्ड की एकसमान गति बनाये रखने के लिए कोई बाह्य बल आवश्यक है? 
उपरोक्त्त प्रश्न सरल प्रतीत होता है | तथापि इसका उतर देने के लिए कई  वर्ष लग गए थे | सत्रहवीं शताब्दी मे गैलीलियो द्वारा दिए गए इस प्रश्न का सही उत्तर न्युटनी यांत्रिकी का आधार बना जिसने आधुनिक विज्ञान का संकेत दिया |न्यूटन ने गति के तीन महत्वपूर्ण नियम दिए जिन्हे न्यूटन ने प्रथम नियम, द्वितीय नियम, तृतीय नियम नाम दिया |

न्यूटन का गति का प्रथम नियम(Newton's first law of motion)

न्यूटन ने गैलीलियो की धारणाओं के आधार पर गति के तीन नियमों जो उनके नाम से जाने जाते है, के रूप मे यांत्रिकी की आधारशिला रखी|गैलीलियो का जड़त्व का नियम उसका आरंभ बिंदु था इस लिए न्यूटन के गति के प्रथम नियम को जड़त्व का नियम कहते है |
"प्रत्येक वस्तु एवं कोई पिण्ड तब तक अपनी विरामावस्था अथवा सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में रहता है जब तक उस पर कोई बाह्य बल कार्य ना करे|"
यदि कोई वस्तु गति कर रही है तो वह गतिशील अवस्था में ही रहेगी जब तक उस पर बाह्य बल कार्य ना करे और यदि कोई वस्तु विरामावस्था में है तो वह विरामावस्था में ही रहेगी जब तक उस पर बाह्य बल ना लगे |
विरामावस्था अथवा एकसमान रैखिक गति दोनों में "शून्य त्वरण" समाविष्ट है अतः गति के प्रथम नियम को इस प्रकार भी व्यक्त किया जा सकता है की किसी पिण्ड पर लगने वाला नेट बाह्य बल शून्य है, तो उसका त्वरण शून्य होता है | शून्येतर त्वरण केवल तभी हो सकता है जब नेट बाह्य बल शून्य हो |

न्यूटन का गति का प्रथम नियम के उदहारण 

गति के प्रथम नियम में निहित जड़त्व का गुण बहुत सी स्थितियों में प्रत्यक्ष दिखाई पड़ता है मान लीजिए हम किसी रुकी हुई बस में असावधानी से खडे है और यकायक ड्राइवर बस को चला देता है | हम झटके के साथ पीछे की और गिर पड़ते है | क्यों ? क्योंकि हमारे पैर बस बस के फर्स को स्पर्श कर रहे होते है | यदि घर्षण न होता तो केवल हमारे पैरों के निचे बस का फर्श आगे की दिशा में सरकता और हम वहीं रहते | परन्तु हमारे पैर और फर्श के बीच कुछ घर्षण होता है इसी लिए हमारा शरीर पीछे की और जाता है |


न्यूटन का गति का द्वितीय नियम Newton's second law of motion 

गति का प्रथम नियम उस साधारण प्रकरण से संबंध रखता है जिसमें किसी पिण्ड पर नेट बाह्य बल शून्य है|
गति का द्वितीय नियम उन व्यापक स्थितियों से संबंध रखता है,  जिनमें पिण्ड पर कोई नेट बाह्य लग रहा हो |
किसी पिण्ड के संवेग (संवेग एक सदिश राशि है) परिवर्तन की दर आरोपित बल के समानुपाती होती है तथा परिवर्तन की दिशा वही होती है जिस दिशा मे बल कार्य करता है |
न्यूटन का गति का द्वितीय नियम संवेग का नियम भी कहलाता है |

न्यूटन का गति का द्वितीय नियम के उदहारण 

उदहारण :- क्रिकेट के खिलाडी तेज गति से आती हुई गेंद को पकड़ते समय अपने हाथो को गेंद की गति की दिशा मे पीछे की और ले जाते है जिससे गेंद की गति कम हो जाये एवं हाथों को चोट ना लगे |


न्यूटन का गति का तृतीय नियम(Newton's third law of motion)

न्यूटन का गति का तृतीय नियम क्रिया प्रतिक्रिया के नियम से जाना जाता है इस नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया की सदैव समान एवं विपरीत दिशा मे प्रतिक्रिया होती है
जैसे कोई पिण्ड A पर B द्वारा आरोपित बल पिण्ड B पर A द्वारा आरोपित बल के समान एवं विपरीत होगा है|

न्यूटन का गति का तृतीय नियम के उदहारण सहित व्याख्या :-

उदहारण:- इस नियम को समझने के लिए एक साधारण सा प्रयोग करके देखते है, एक गेंद लेते है और उस को दीवार की और धीरे से फेंकते है तो वह कम गति से आपकी तरफ आएगी | अब उस गेंद को जोर से दीवार की और फेंकते है तो गेंद तेज गति से आपकी तरफ आएगी | 
क्योंकि जितना बल गेंद द्वारा दीवार पर लगा रहा है उतना ही बल दीवार गेंद पर लगा रही है | गेंद द्वारा की गई क्रिया के समान एवं विपरीत दिशा मे दीवार प्रतिक्रिया दे रही है |
उदहारण:- बंदूक से गोली चलाते समय व्यक्ति को पीछे की और धका लगना |
व्यक्ति द्वारा पानी मे खड़ी नाव से कूदने पर नाव का पीछे की और जाना इसी नियम के उदहारण है |




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