पृथ्वी की आंतरिक संरचना | Internal structure of the earth
विज्ञान की अनेक शाखाओं द्वारा जुटाए गए प्रमाणों से पता चलता है की पृथ्वी का जन्म 4.5 अरब वर्ष पूर्व हुआ था पृथ्वी की उम्र ब्रह्माण्ड की उम्र की एक तिहाई है ।
जीवन उत्पति के बाद उनके प्रभाव से और परिवर्तन हुए
पृथ्वी के कुछ कम प्रचलित नाम भूमि, गैय व टेरा भी है
पृथ्वी सौरमंडल में व्यास, द्रव्यमान और घनत्व की दृष्टि से सबसे बड़ा ठोस ग्रह है
पृथ्वी की सरंचना परतो के रूप मे है जैसे प्याज़ के छिलके होते है पृथ्वी के केंद्र से सतह की दुरी लगभग 3900 किलोमीटर होने का अनुमान है पृथ्वी मे अभी तक 15 किलोमीटर से अधिक गहराई का छिद्र करना संभव नहीं हुआ है
पृथ्वी को मोटे तोर पर तीन प्रकार की परतो से बना माना जाता है इन परतो की मोटाई रासायनिक विशेषताओं अथवा यांत्रिक विशेषताओं के आधार पर रखी गई है
1. भूपर्पटी
2. मेंटल
3. कोर्ड
जल मण्डल
पृथ्वी की आंतरिक संरचना | Internal structure of the earth:-
प्रारम्भ मे पृथ्वी बहुत गर्म थी इसके घूमने की गति भी बहुत तेज थी घूमने पर बाहर का भाग ठंडा होता मगर वह छिटक कर अलग हो जाता था ठंडा होते समय भारी तत्व गहराई मे चले गए व हल्के तत्व से सतह बनी, शेष बची गेंसो से वायुमंडल बनाजीवन उत्पति के बाद उनके प्रभाव से और परिवर्तन हुए
पृथ्वी के कुछ कम प्रचलित नाम भूमि, गैय व टेरा भी है
पृथ्वी सौरमंडल में व्यास, द्रव्यमान और घनत्व की दृष्टि से सबसे बड़ा ठोस ग्रह है
पृथ्वी की आंतरिक संरचना :-
जब पृथ्वी में बहुत गहराई तक खुदाई करने के साधन नहीं थे तब ज्वालामुखी से निकलने वाले लावे को देख कर मानव ने जाना की पृथ्वी के अंदर की बनावट सभी जगह एक समान नहीं है![]() |
पृथ्वी की आंतरिक संरचना |
पृथ्वी की सरंचना परतो के रूप मे है जैसे प्याज़ के छिलके होते है पृथ्वी के केंद्र से सतह की दुरी लगभग 3900 किलोमीटर होने का अनुमान है पृथ्वी मे अभी तक 15 किलोमीटर से अधिक गहराई का छिद्र करना संभव नहीं हुआ है
पृथ्वी को मोटे तोर पर तीन प्रकार की परतो से बना माना जाता है इन परतो की मोटाई रासायनिक विशेषताओं अथवा यांत्रिक विशेषताओं के आधार पर रखी गई है
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पृथ्वी की आंतरिक संरचना |
2. मेंटल
3. कोर्ड
भूपर्पटी (Earth's crust):-
पृथ्वी की ऊपरी परत भूपर्पटी एक ठोस परत है इसकी मोटाई सभी स्थानों पर एक समान नहीं है इस अंतर के कारण ही कही पहाड़ तो कही समुन्द्र बने है इसी कारण भूतल को दो भागो में बांटा गया है
जल मण्डल
स्थल मण्डल
वर्तमान मे भूपर्पटी का लगभग 70 प्रतिशत भाग जल से ढका है जो सामान्यतः समतल रहता है शेष लगभग 30 प्रतिशत भाग पर स्थल है जिस पर कही मैदान तो कहीं पर्वत, कहीं मरुस्थल तो कही घाटियां है
मेंटल(Mantle) :-
मेंटल पृथ्वी की दूसरी परत को कहते है यह सबसे मोटी परत है यह अधिकांशतः गर्म पिघली चट्टानों से बनी है । इन सिलिकेट चट्टानों ने लोहे व मैग्नीशियम की मात्रा भूपर्पटी की तुलना मे अधिक होती है, इसमें उबलते हुए द्रव की तरह बुलबुले उठते है मेंटल पृथ्वी के मध्य भाग पर ऊपर नीचे होती रहती है ।
क्रोड़(Core) :-
पृथ्वी के केंद्रीय भाग को क्रोड़ कहते है यह भाग सर्वाधिक गहराई पर होने के कारण सबसे अधिक गर्म होता है इसका तापमान 7000 डिग्री सेंटीग्रेड होने का अनुमान है क्रोड़ के गर्म होने का कारण पृथ्वी के बनते समय अंदर रह गई ऊष्मा है। क्रोड़ के धीरे-धीरे ठंडा होने का परिणाम भी मिले हैं।
पृथ्वी के क्रोड को दो भागों में बांटा जाता है
बाहरी क्रोड़
आंतरिक क्रोड़
बाहरी क्रोड़ :-
बाहर वाला क्रोड़ तरल होता है, और इसमें लोहा वह निकल प्रमुखता से पाए जाते हैं ।
आंतरिक क्रोड:-
पृथ्वी के अंदर वाला क्रोड़ ठोस माना जाता है तथा यह शुद्ध लोहे का बना होता है कुछ वैज्ञानिकों ने इस भाग में सोना व प्लैटिनम होने की संभावना प्रकट की है ।
वैज्ञानिकों का मानना है कि क्रोड़ स्थिर नहीं होकर पृथ्वी से भी तेज गति से चक्कर लगता है क्रोड़ पृथ्वी का सबसे सघन भाग है इसका घनत्व भूपर्पटी की तुलना में बहुत अधिक होता है । पृथ्वी के चुंबकत्व का कारण भी क्रोड़ है । पृथ्वी की रासायनिक संरचना उनका उल्काओं के समान है इसलिए पृथ्वी को भी एक बड़ा उल्का कहा जा सकता है
बाहरी क्रोड़
आंतरिक क्रोड़
बाहरी क्रोड़ :-
बाहर वाला क्रोड़ तरल होता है, और इसमें लोहा वह निकल प्रमुखता से पाए जाते हैं ।
आंतरिक क्रोड:-
पृथ्वी के अंदर वाला क्रोड़ ठोस माना जाता है तथा यह शुद्ध लोहे का बना होता है कुछ वैज्ञानिकों ने इस भाग में सोना व प्लैटिनम होने की संभावना प्रकट की है ।
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क्रोड़ (Core) |
वैज्ञानिकों का मानना है कि क्रोड़ स्थिर नहीं होकर पृथ्वी से भी तेज गति से चक्कर लगता है क्रोड़ पृथ्वी का सबसे सघन भाग है इसका घनत्व भूपर्पटी की तुलना में बहुत अधिक होता है । पृथ्वी के चुंबकत्व का कारण भी क्रोड़ है । पृथ्वी की रासायनिक संरचना उनका उल्काओं के समान है इसलिए पृथ्वी को भी एक बड़ा उल्का कहा जा सकता है
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