लोकपाल
17 मार्च 2019 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की सहमति द्वारा सेवानिवृत सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश पिनाकी चंद्र घोष को भारत का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया है|
लोकपाल
लोकपाल एक भ्रष्टाचार विरोधी प्राधिकरण है जो राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच के लिए जिम्मेदार है जबकि लोकायुक्त राज्य स्तर पर जाँच के लिए कार्य करता है| लोकपाल की अवधारणा स्वीडन से लि गई है| लोकपाल का भ्रष्टाचार के मामलो की जाँच का संसद के सभी सदस्य एवं केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों पर अधिकार है यही एक कारण हो सकता है की लोकपाल बिल पारित होने में ईतना लम्बा समय लगा|
लोकपाल
लोकपाल शब्द 1963 में एल. एम. सिंधवी द्वारा दिया गया था|
लोकपाल की अवधारणा को पहली बार 1960 के दशक में क़ानून मंत्री अशोक कुमार के द्वारा संसद मे प्रस्तावित किया गया था|
लोकपाल विधेयक को 1968 में शांती भूषण द्वारा प्रस्तावित किया गया, 1969 में चौथी लोकसभा में पारित किया लेकिन राज्यसभा में पारित नहीं कर पाए|
इसके बाद 1971, 1977, 1985 में अशोक कुमार सेन द्वारा लोकपाल बिल पेश किया गया, इस समय राजीव गाँधी केबिनेट में कानून मंत्री के रूप में कार्य किया, इसके बाद 1989, 1996, 1998, 2001, 2005, 2008 में, लेकिन फिर भी बिल पास नहीं हुआ| इसके बाद 2011 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में जन लोकपाल आंदोलन चलाया गया और 2013 में लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम संसद में संशोधन के साथ पारित किया गया था|
लोकपाल : पिनाकी चंद्र घोष
4 सदस्य न्यायपालिका से :
1. Justice Dilip Bhosale
2. Justice Pradip Kumar Mohanty
3. Justice Abhilasha Kumari
4. Justice Ajay Kumar Tripathi
और 4 सदस्य एसटी, एससी, ओबीसी, महिला या अल्पसंख्यकों से है|
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